कृषि के प्रति महिलाओं को जागरुक कर हमीरपुर की महिला ने एक नया आयाम स्थापित किया है। वर्ष 2012 में शुरू हुए इस जागरुक अभियान की सफलता यहॉं तक पहुंची कि राज्य के दस जिलों की पांच हजार महिलाओं ने सबसिडी पर मिलने वाले राषन की इच्छा छोड़कर सब्जी उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया।
हमीरपुर के कोहलवीं गांव की अंजना ठाकुर को इस उत्कृष्ट कार्य के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। यह पुरस्कार उन्हें केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने दिया है। हमीरपुर के भलवाणी गांव में अंजना का जन्म 31 जनवरी, 1974 को हुआ। पिता के, बु़द्ध सिंह भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं, जबकि माता राजकिरण को ग्रेजुएषन करवाई।
इसके बाद उनकी षादी कोहलवीं गांव के सुरेन्द्र ठाकुर के साथ हुई। भारतीय सेना से सुबेदार पद से अब वह सेवानिवृत्त हो गए है। पढ़ी लिखी महिला होने के नाते गांव की महिलाओं ने उन्हें महिलामंडल का प्रधान बनाया। इस दौरान उनके सामने गांव के आसपास की महिलाओं की समस्याएं सामने आने लगी। इसमें बेरोजगारी की हालत दिन व दिन पतली होना व दो वक्त की रोटी के लिए भटक रही महिलाओं के हालात ने उन्हें झंझोर दिया।
बस वही से उन्होंने हिमालयन महिला एवं जन कल्याण संस्था का गठन कर दिया। वर्ष 2012 में इस संस्था के बैनर तले उन्होंने गांव- गांव में महिलाओं को जागरुक करना षुरु किया। इस जागरुकता में बी पी एल व आई आर डी पी की चाहत को दूर करना उनका मुख्य उद्देष्य था।
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए किचन गार्डन के जरिए घर की सब्जी के जुगाड़ के प्रति जागरुक किया। धीरे-धीरे कारवां अन्य जिलों में प्रवेष होते हुए राज्य के दस जिलों में पहुॅंच गया। कृषि विभाग अब तक लाखों खर्च करने उपरान्त ऐसा प्रमाण नहीं दे सका है जैसा अंजना ने दिया है। आज प्रदेष की पॉंच हजार महिलाएं इस संस्था से जुड़कर सब्जी उत्पादन कर रही है। इन महिलाओं को उन्नत किस्म के बीज व दवाईयों की जानकारी संस्था द्वारा समय- समय पर दी जाती है। अंजना ने बताया की इस दौरान महिलाओं ने पानी की समस्या भी उनके सामने रखी। लेकिन इसके लिए उन्होंने महिलाओं को आत्मबल देते हुए थोड़े से सब्जी उत्पादन से जोड़ने का प्रयास किया। धीरे-धीरे इस उत्पादन को बढ़ावा दे रही है।
उन्होंने कहा कि संस्था ने महिलाओं को न तो सिलाई न ही कढ़ाई के प्रति जागरुक किया। मात्र उद्देष्य खेती बाड़ी व सब्जी उत्पादन था।